सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

नृत्य के बिना जीवन निष्प्राण है- सुनंदा नायर - वागीशा कंटेंट कंपनी

मैं एक मलयाली परिवार में पैदा हुई और छह साल की उम्र में मैंने पंडित दीपक मजूमदार से भरतनाट्यम की शिक्षा लेनी शुरू की। फिर कुछ साल बाद केरल के पारंपरिक नृत्य थियेटर में कथकली सीखने लगी। पं. मजूमदार से मैं भरतनाट्यम सीखती थी। उन्हीं की प्रेरणा से मैं मोहिनीअट्टम से जुड़ी। पं. मजूमदार जुहू (मुंबई) स्थित नालंदा नृत्य कला महाविद्यालय में नृत्य गुरू विदुषी कनक रैले जी से मोहिनीअट्टम सीखते थे। एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि तुम केरल की होकर भी अपनी शुद्ध नृत्य-कला क्यों नहीं सीखती? मैं समझ गई कि उनका इशारा मोहिनीअट्टम की तरफ था। मैं मोहिनीअट्टम सीखना चाहती थी लेकिन मन में यह आशंका भी थी कि कनक रैले जी मुझे शिष्या के रूप में स्वीकार करेंगी या नहीं। मैंने गुरूजी से पूछा-क्या वे मुझे सिखाएंगी? वे मुझे कनक रैले जी से मिलाने ले गए और सच कहूं तो उस दिन से मेरा जीवन बदल गया। मैंने भरतनाट्यम और कथकली सीखा जरूर था लेकिन उस वक्त तक नृत्य मेरी रुचि मात्र ही थी। कनक रैले जी की शिष्या बनना मेरे लिए एक बड़ा गौरव था। लेकिन तब भी मैं दो-तीन महीने इसी दुविधा में घिरी रही कि नृत्य मेरी रुचि मात्र है या मैं इसमें अपना भविष्य तलाश सकती हूं। आखिर मैंने तय किया, अब मोहिनीअट्टम ही मेरी जिंदगी है।...फिर मैं इसकी गहन लयात्मकता, सुकोमलता में डूबती चली गई। केरल में एक प्राचीन मंदिर है उसकी विशेशता नृत्य है। सदियों तक केरल के मंदिरों में देवदासियां इसे प्रस्तुत करती थीं। बाद में कई दशकों तक यह नृत्य उपेक्षित रहा। अब नई पीढ़ी केरल की पारंपरिक विरासत पर फिर से अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। वैसे केरल के सामाजिक जीवन में नृत्य का बड़ा स्थान है। सबसे अलग बात यह है कि मोहिनीअट्टम एक मादक नृत्य है। इसमें सिर्फ नायक-नायिका के विरह व्यथा की ही नहीं बल्कि उनके बेहद अंतरंग क्षणों की भी अभिव्यक्ति होती है। प्रस्तुति के दौरान मोहिनीअट्टम का वैशिष्ट्य साफ झलकता है। इसकी नृत्य-प्रस्तुति एक वृत्त के भीतर होती है। यह वृत्त बड़ी खूबसूरती के साथ नृत्यांगना के हर मूवमेंट के बीच एक सुंदर समन्वय स्थापित करता है। मुझे लगता है कि कृष्ण की बाललीला, रामायण की कथा जैसे लोकप्रिय प्रसंगों पर मोहिनीअट्टम की नृत्य-संरचना तैयार की जाए तो यह आम लोगों के बीच ही नहीं, बच्चों के बीच भी लोकप्रिय हो सकता है। तभी यह जनमानस तक पहुंचेगा।

किशोरों के कमरे में सजाइए सपने / डा. अनुजा भट्ट

यदि सपनों की बात करें तो किशोरों के दुनिया सबसे बड़ी है। कहा जाता है कि वह तो जागते हुए भी सपने देखते हैं और उन सपनों में वह किसी से कोई समझौता नहीं करते। वह हर चीज को चुनौती के रूप में लेते हैं। ऐसे में जब हमें अपने किशोर बच्चों का कमरा सजाना हो क्या करें? हम उनके सपनों के रंग बुने। ऐसे रंगों को महत्व दें जो उनके भीतर की ऊर्जा, हस्तक्षेप पसंद न करने के उनके स्वभाव से मेल खाए। आजकल इंटीरियर डिजाइनर किसी भी घर और कमरों की सजावट से पहले उसमें रहनेवाले का मनोविज्ञान जानना चाहते हैं। माता-पिता चाहते हैं कि वह समाज की मान्यताओं का पालन करे। ऐसे में यह एक अच्छी खबर हो सकती है कि रंगों के मेल ने किशोरों के सपने और माता-पिता की भावनाओं दोनों को एक जगह ला दिया है। रचनात्मकता और आपकी बातचीत के जरिए यह राह आसन हो गई। क्या है टीन बैडरूम कलर थ्योरी? सबसे पहले आपको रंग योजना और रंगों के चक्र को जानना होगा। आपके लिए यह एक उपयोगी उपकरण होगा। जिन दुकानों पर कलर पेंट मिलता है वहां यह आसानी से मिल जाएगा। पीला, लाल, नीला यह तीन रंग प्राथमिक रंग हैं। नारंगी, हरा और बैगनी द्वितीयक रंग हैं। इंटीरियर डिजाइनर से पहले आपको रंगों के ये मेल ध्यान मे रखना है। घर तो आपका है ना। अब कुछ और काम की बातें। जैसे जैसे आप रंगों के इस चक्र को घुमाएंगे उसके सामने रंग आते जाएंगे जैसे लाल के सामने हरा। अगर आपका विरोधाभासी रंग देखने हंै तो वह भी आपको इस चार्ट के जरिए दिखाई देंगे। विरोधाभासी रंग योजना में कमरा बड़ा होने का आभास देता है और देखने में अच्छा लगता है। लेकिन जब हम समान रंग का प्रयोग करते हैं तो यह रंग निश्ंिचतता का अहसास कराते हैं। लेकिन जब तीन रंगोंं का मेल कराया जाता है, जैसे नीला, हरा, पीला तो यह बहुत रुचिकर लगता है। रंग और तापमान का ख्याल रखना भी जरूरी है। पीला, नारंगी और लाल गर्मी का अहसास कराते हैं। सफेद, हरा, नीला और बैगनी जैसे रंग ठंडक का अहसास कराते हैं। समान रंग आपके मजबूत इरादों को सफल बनाते हैं। अधिकांश इंटीरियर इस बात पर सहमत हैं कि घर की रंग योजना में तीन से ज्यादा रंगों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह तय कर लें कि आप विरोधाभासी रंग चुनेंगे, समानधर्मी रंग चुनेंगे या फिर तीन रंग। प्राथमिक रंग तीन दीवारों पर, दूसरा रंग चौथी दीवार पर खास रंग कमरे की अन्य आवश्यक चीजों पर। नए ट्रेंड में काफी के साथ टील- का चलन है क्योंकि यह रंग आराम, एकांत का अहसास कराता है। टील आधुनिकता का अहसास कराता है। किशोरों को यही तो चाहिए आखिर उनको सपने देखने हैं।